Shiv Ji Ki Aarti |आरती शिवजी की ‘ओम जय शिव ओंकारा’

!!भगवान शिव की आरती, ॐ जय शिव ओंकारा!!
सावन सोमवार पर भगवान शिवजी की आरती ( Shiv Ji Ki Aarti )ओम जय शिव ओमकारा का गायन करने से भगवान शिव की शक्ति और उनके परब्रह्म स्वरूप का बोध अंतःकरण में होता है जो भक्तों को अह्लादित कर देता है। शिवरात्रि और सावन के सोमवार के मौके पर शिवजी की पूजा में इस ओम जय शिव ओमकारा आरती का गायन करने से शिवजी भक्तों पर बड़ी कृपा करते हैं। सावन सोमवार एवं शिवरात्रि तथा शिव पूजा के अवसर पर ओम जय शिव ओमकारा शिवजी की इस आरती का गायन कीजिए और शिवजी की कृपा का लाभ प्राप्त कीजिए।

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥