भगवान विष्णु हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं (त्रिमूर्ति) में से एक हैं, जिनमें ब्रह्मा और शिव शामिल हैं। उन्हें नारायण और हरि के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मांड के निर्माण से पहले भगवान विष्णु शून्य के विशाल समुद्र में सो रहे थे। विष्णु अपने अवतारों के लिए प्रसिद्ध हैं, जिन्हें ‘अवतार’ कहा जाता है। ब्रह्मांड के रक्षक होने के नाते, उनके अवतारों का उद्देश्य दुनिया को बुरी शक्तियों से बचाना और शांति एवं व्यवस्था की स्थापना करना है। भगवान विष्णु ने नौ अवतार लिए हैं, और माना जाता है कि उनका दसवां अवतार, कल्कि, संसार के अंत के निकट होगा। उनका वाहन पौराणिक पक्षी गरुड़ है, और उनकी पत्नी लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी हैं। उनका निवास स्थान वैकुंठ माना जाता है और उन्हें समय, स्थान और जीवन के देवता माना जाता है।
विष्णु चालीसा (Hindi)
श्री गणपति गुरु गौरी, पूजित प्रथम उचार। लखत चरण श्री विष्णु को, होए मन में प्यार॥
जय विष्णु लक्ष्मीपति भगवान। करत कृपा जग पालन ठान॥
कश्यप अदिति पुत्र प्रणामी। दिति सुत हरि मारयो स्वामी॥
अदिति करि विनती बहु भांति। सुत प्रसन्न दानव कुल भ्रांति॥
केहि विधि राखि दास को प्राना। सम्भु प्रेरित भय उपार्जना॥
जय लक्ष्मी कांत नमो नमः। हरि करुणा कृपा करि परम॥
ध्यान धरत नर शुद्ध शरीरा। हरि रूप विमल मंगल मूरा॥
देव व्रत हरि राजाधिराज। विष्णु कृपा करि जगतराज॥
शंख चक्र गदा पद्म धारी। ग्रहण करि भक्तन परि तारी॥
बाल्मीकि रचि रामायण गाई। भरत शत्रुघ्न संग सहाई॥
गंगाजल स्नान हरि लीला। यश धरि सीता राम शुभमंगला॥
नारद कहत महिमा महान। विष्णु अवतार करै कल्याण॥
दशावतार हैं हरि प्रकटे। रहस्यमय तेहिं लीला रचि अटे॥
जो विष्णु को चालीसा गावै। सुख सम्पत्ति हरि कृपा पावै॥
Conclusion
भगवान विष्णु, जिन्हें नारायण और हरि के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति देवताओं में से एक हैं। उन्होंने नौ अवतार लिए हैं जो बुरी शक्तियों से लड़कर शांति और व्यवस्था की स्थापना के लिए जाने जाते हैं। उनकी पत्नी लक्ष्मी हैं और उनका निवास स्थान वैकुंठ माना जाता है। विष्णु चालीसा के पाठ से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
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